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लेखनी प्रतियोगिता -11-Apr-2022बडी़बहू

       "माँजी आप अब  हमेशा मेरे पास ही रहोगी। आप कहीं नहीं जाओगी।यदि मै आपकी सेवा में कोई कमी करूँ तो आप मेरे कान पकड़कर  कह देना। मैने आपकी आज तक किसी बात का बुरा नहीं माना है।", सुशीला अपनी सास के पैर पकड़ कर बोली।


      "नहीं बहू तूने आज तक मेरी किसी बात का लौटकर जबाब नहीं दिया है। जबकि मैने तुझे कभी अपनी बडी़ बहू  माना ही नही। तुझे हमेशा सौतेले बेटे की बहू ही समझा है। और तूने कभी भी मेरी बात का बुरा नही माना। राज बाला सुशीला को गले से लगाकर रोते हुए बोली।

        "  नही माँजी ऐसे नही कहते है यह सब आपका दिया हुआ है मै कहाँ से लाई हूँ। सब आपका आशीर्वाद है जो आज  यह सब मिला है।" सुशीला अपनी सास के आँसू पौछती हुई बोली।

       " नही बहू आज मुझे कहलेने दे जिससे मेरा मन हल्का होजायेगा। मैने जिनको अपना समझा वह दौनौ ही निकम्मे निकले। मुझे नही मालूम था कि जिनको मैने अपना दूध पिलाया सुरेश को कभी अच्छी तरह खाना भी नही दिया वह मेरी सेवा कर रहा है और उन दौनौ ने तो मुझे दूध की मक्खी की तरह बाहर निकाल दिया।   "  राजबाला रोते हुए कह रही थी।

               रामलाल एक छोटे किसान थे। उनका परिवार भी छोटासा था एक बेटा सुरेश था। और पत्नी यथा नाम तथा गुणवाली थी। नाम था लक्ष्मी। वह बास्तव में ही लक्ष्मी थी।

           परन्तु जब सुरेश चार साल का था तभी लक्ष्मी भयानक बीमारी के चलते स्वर्गवासी होगयी। इससे रामलाल पर तो एक आपत्तियौ का पहाड़ टूट पडा़ क्यौकि अब खेती का काम करने जाते समय सुरेश को किसके पास छोड़कर  जायै।

       इसी लिए रामलाल ने अपनी दूसरी शादी राजबाला से करली।
रामलाल जिसे सहायता के लिए लाये थे उसने तो उनका जीना मुश्किल कर दिया।

         राजबाला ने कुछ दिन तक तो सुरेश काखयाल रखा परन्तु एक साल बाद ही अपना सौतेला रूप दिखाना शुरू कर दिया। अब घर का पूरा काम नन्ही जान सुरेश से करवाती थी उसको स्कूल भी नहीं जाने देती।

       सुरेश भी माँ का हुक्म समझकर सब करता रहता रामलाल की कोई बात राजबाला नही मानती थी। इसी बीच उसके दो बेटे पैदा होगये अब वह उनका बहुत ध्यान रखती थी। जब वह बडे़ हुए तब सुरेश से उनका काम करवाती थी।

      सुरेश अपने पिता के साथ खेती में भी हाथ बटाता था । सुरेश के पिता ने एक गाँव की अनपढ़ लड़की के साथ उसकी शादी करदी।  अब सुशीला ही घर का सारा काम करती थी राजबाला तो केवल हुक्म चलाती थी।

      यदि किसी काम को करने में सुशीला से कोई गल्ती हो जाती तब वह उसे डन्डे से पीटभी लेती लेकिन इसकी शिकायत उसने कभी भी अपने पति से भी नहीं की थी।

        राजबाला ने धोके से पूरी जमीन अपने नाम करवाली थी और वह जमीन उसने अपने दौनौ सगे बेटौ के नाम करदी। इसी बीच रामलाल की मौत होगयी।

    अब राजबाला ने सुरेश व सुशीला को अपने घर से भी निकाल दिया। सुरेश एक झौपडी़ मै रहकर मजदूरी करके अपना गुजारा करने लगा। और महनत से उसने कच्चा घर बना लिया।

       राजबाला के दौनौ बेटौ की शहर में नौकरी लग गयी और उन दौनौ ने अपनी मर्जी से पढी़ हुई लड़कियौ से शादी करली और शहर मे रहने लगे। राजबाला  गाँव की जमीन व मकान बेचकर  अपने बेटौ के पास चली गयी।

   वहाँ कुछदिन तो  सही चला परन्तु छै माह के बाद ही राजबाला की स्थिति एख नौकरानी से भी बुरी होगयी अब उसे घर का पूरा काम करना पड़ता और खाने के लिए सूखी रोटी दीजाती।  जिसने हमेशा दूध दही खाया था वह सूखी रोटी कैसे खासकती थी।

      अब राजबाला वहाँ बहुत परेशान रहने लगी । उसने कभी इतना काम किया ही नही था । काम के अधिक बोझ के कारण वह बीमार रहने लगी। उसे बीमारी में भी काम करना पड़ता था। उसके बेटे भी उसकी बात नही पूछते थे। 

         अब उसे सुरेश व सुशीला की याद आने लगी लेकिन वहाँ वह कैसे जा सकती थी क्यौकि उसने उन दौनौ को तो बहुत परेशान  किया था। राजबाला को अब अपनी करनी पर शर्म आने लगी।

       सुरेश को गाँव के किसी आदमी ने उसकी सौतेली माँ की बीमारी और परेशानी की बात बताई।

        सुरेश ने सुशीला से बात की और अपनी सौतेली माँ को गाँव लेआया। सुशीला ने उनका इलाज करवाया और उनको कोई काम नहीं करने देती।

      अब राजबाला को अपनी करनी पर शर्म आरही थी जब वह एक दिन शहर बेटौ के पा। जाने की कहने लगी तब सुशीला ने साफ मना कर दिया।

       जिन बेटौ के लिए सुरेश का हक भी छीन लिया था आज वह सौतेला होकर भी सेवा कर रहा है। आज राजबाला बहुत शर्मिन्दा थी आज वह अपनी करनी पर रो रही थी। बडी़ बहू ही ऊनकी सेवा कर रही थी। वह सौतेली होकर भी बडी़ बहू का फर्ज निभा रही थी।


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18 Comments

Rohan Nanda

15-Apr-2022 12:58 AM

Bahut khoob

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Seema Priyadarshini sahay

13-Apr-2022 10:38 PM

बहुत बेहतरीन कहानी

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Reyaan

12-Apr-2022 05:07 PM

Very good

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Naresh Sharma "Pachauri"

12-Apr-2022 06:46 PM

Very very thanks

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